एक अनोखा फैसला
चीन का दार्शनिक लाओत्से अपने विचार और बुद्धि के कारण काफी प्रसिद्ध था। चीन के राजा ने लाओत्से से प्रधान न्यायाधीश बनने का अनुरोध किया और कहा- संपूर्ण विश्व में आप जैसा बुद्धिमान और न्यायप्रिय कोई नहीं है। आप न्यायाधीश बन जाएंगे तो मेरा राज्य आदर्श राज्य बन जाएगा। लाओत्से ने इनकार करते हुए कहा कि वह उस पद के लिए उपयुक्त नहीं है। लेकिन राजा नहीं माना। लाओत्से ने उसे समझाया- मुझे न्यायालय में एक दिन कार्य करते देखकर आपको अपना विचार बदलना पड़ेगा। मेरा मानना है कि संपूर्ण व्यवस्था में ही दोष है। आपके प्रति आदर भाव रखने के कारण ही मैंने आपसे सत्य नहीं कहा है। अब या तो मैं न्यायाधीश बना रहूंगा या आपके राज्य की कानून- व्यवस्था बनी रहेगी। देखें, क्या होता है। पहले ही दिन न्यायालय में एक चोर को लाया गया जिसने राज्य के सबसे धनी व्यक्ति का लगभग आधा धन चुरा लिया था। लाओत्से ने मामले को अच्छे से सुना और अपना निर्णय सुनाया- चोर और धनी व्यक्ति, दोनों को छह-छह महीने की जेल की सजा दी जाए। धनी व्यक्ति ने कहा- आप यह क्या कर रहे हैं? चोरी मेरे घर में हुई है! मेरा धन चुरा लिया गया है