Apne desh ko jano
हर देश की पहचान कुछ विशेष चिह्नों से
होती है. देश का नक्शा या मानचित्र हमें देश
की भौगोलिक स्थिति की सूचना देता है.
राष्ट्रध्वज सभी महत्त्वपूर्ण
सरकारी संस्थानों, राष्ट्रीय पर्वो और
अन्तराष्ट्रीय घटनाओं पर देश की निशानी के
रूप में प्रयोग किया जाता है. राष्ट्रचिह्न
का उपयोग मुद्रा और सरकारी मुहरों पर
होता है. राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत
सभी राष्ट्रीय पर्वो पर, अन्तर्राष्ट्रीय
अवसरों पर, पुलिस, सेना व सेना से संबंधित अन्य
विभागों के विशेष अवसरों पर, तथा स्कूलों में
गाया जाता है. राष्ट्रीय पशु, पक्षी, वृक्ष,
फूल और फल हमें अपने देश की विशेषताओं से
परिचित कराते हैं.
हमारा राष्ट्रीय ध्वज खादी की अलग अलग
रंगों वाली तीन पट्टियों से बना है. सबसे उपर
केसरी रंग, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा रंग
है. केसरी रंग राष्ट्र की शक्ति का प्रतीक है.
यह हमें साहस त्याग और बलिदान की याद
दिलाता है. बीच में सफेद रंग धर्मचक्र
के साथ शांति, सत्य और
पवित्रता का सूचक है.
हरा रंग दृढ विश्वास और
अपने देश की उपजाऊ मिट्टी की याद
दिलाता है. सफेद रंग के मध्य में गहरे नीले रंग
का धर्मचक्र्र न्याय और गति का प्रतीक है.
धर्मचक्र के 24 अरे हैं जो दिन और रात के
चौबीस घंटों के प्रतीक हैं. अपने राष्ट्रीय ध्वज
की लंबाई और चौडाई का अनुपात निश्चित है.
चौडाई और लंबाई दो व तीन के अनुपात में
होती है.बीच के सफेद रंग के हिस्से पर गहरे नीले
रंग का चक्र, सफेद रंग के चौडाई के अनुपात में
होता है. हमारे देश का राष्ट्रिय गीत जन गण
मन रवींद्रनाथ टेगोर ने लिखा है.
उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास सारनाथ
की प्रसिध्द सिंह लाट की प्रतिकृति अपने देश
का राष्ट्रीय चिह्न है. सारनाथ की यह सिंह
लाट सम्राट अशोक ने ईसा से तीन सौ साल
पहले बनवाई थी.यह वही जगह है जहां भगवान
बुध्द ने अपना सबसे पहला धर्मर् - उपदेश
दिया था और शांति तथा विश्व के उध्दार के
लिये चार आदर्श सत्यों का मार्ग
दिखाया था.चारों दिशाओं की ओर मुंह किये हुए
ये चार सिंह ( एक पीछे अदृश्य) एक गोल शीर्ष
फलक पर है. शीर्ष फलक के चारों ओर
चारों दिशाओं के रक्षक पशु उत्कीर्ण हैं. उत्तर
दिशा की ओर शेर , दक्षिण दिशा की ओर घोडा
, पूर्व दिशा की ओर हाथी और पश्चिम
दिशा की ओर सांड या बैल है. शीर्ष फलक एक
संपूर्ण खिले हुए कमल के फूल पर आधारित है.
राष्ट्रचिह्न के नीचे देवनागरी लिपी में
सत्यमेव जयते लिखा है जिसका अर्थ है कि केवल
सत्य की ही विजय होती है.
पीले रंग का काली धारियों वाला यह बाघ
हमारे देश का राष्ट्रीय पशु है. यह
अपनी शक्ति और आकर्षक बनावट के लिये
लोकप्रिय है. यह एक दुर्लभ पशु है इसलिये
भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टायगर के नाम
अन्तर्गत बाघ संरक्षण का एक कार्यकम शुरू
किया है.
रंग-बिरंगे पंखों वाला मोर हमारा राष्ट्रीय
पक्षी है. ये छोटे झुंड बना कर पानी के पास
रहते है.नर जब अपने रंगबिरंगी पंख फैला कर उसे
पंखा जैसे बनाता है तो उसकी सुंदरता देखते
ही बनती है.
कमल
हमारा राष्ट्रीय पुष्प है. यह पानी मे
पैदा होता है और बडे बडे पत्तों के साथ
पानी के उपर खिलता है.एक के उपर एक बहुत
सी पंखुरियों की सतहों वाला यह फूल सुंदर
रंगों के कारण आंखो को तो भाता ही है , साथ
साथ सुगंध भी फैलाता है. पुराणों तथा पुराने
ग्रंथों में भी इसका उल्लेख है.
आम
हमारा राष्ट्रीय
फल है. विश्व के उष्ण
कटिबन्ध में यह
लगभग हर जगह
पाया जाता है.
पौष्टिक तत्वों से
भरा यह फल भारत में
काफी रंग रूप और किस्मों में पाया जाता है.
कहते है , कालिदास नें इसके गुन गायें है ,
अलेक्झांडर ने इसे खा कर अपनाया था , अकबर ने
तो इसके 100,000 पौधे दरभंगा के लाखीबाग
में लगावाए थे.
बरगद भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है.यह
अपनी टहनियों से ही नई जडें उगा कर
नया पौधा तैयार कर लेता है. इस कारण यह
पौधा अमर माना गया है.इसकी घनी छांह
गर्मी में बडी शीतलता प्रदान करती है.
गांवों के जीवन का यह प्रमुख केन्द्र होता है.
चौपाल में गांव के सभी लोग यहीं मिलते हैं.
धार्मिक दृष्टि से भी इसे पूजनीय
माना गया है.
दीपिका जोशी
अगस्त 15, 2000
होती है. देश का नक्शा या मानचित्र हमें देश
की भौगोलिक स्थिति की सूचना देता है.
राष्ट्रध्वज सभी महत्त्वपूर्ण
सरकारी संस्थानों, राष्ट्रीय पर्वो और
अन्तराष्ट्रीय घटनाओं पर देश की निशानी के
रूप में प्रयोग किया जाता है. राष्ट्रचिह्न
का उपयोग मुद्रा और सरकारी मुहरों पर
होता है. राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत
सभी राष्ट्रीय पर्वो पर, अन्तर्राष्ट्रीय
अवसरों पर, पुलिस, सेना व सेना से संबंधित अन्य
विभागों के विशेष अवसरों पर, तथा स्कूलों में
गाया जाता है. राष्ट्रीय पशु, पक्षी, वृक्ष,
फूल और फल हमें अपने देश की विशेषताओं से
परिचित कराते हैं.
हमारा राष्ट्रीय ध्वज खादी की अलग अलग
रंगों वाली तीन पट्टियों से बना है. सबसे उपर
केसरी रंग, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा रंग
है. केसरी रंग राष्ट्र की शक्ति का प्रतीक है.
यह हमें साहस त्याग और बलिदान की याद
दिलाता है. बीच में सफेद रंग धर्मचक्र
के साथ शांति, सत्य और
पवित्रता का सूचक है.
हरा रंग दृढ विश्वास और
अपने देश की उपजाऊ मिट्टी की याद
दिलाता है. सफेद रंग के मध्य में गहरे नीले रंग
का धर्मचक्र्र न्याय और गति का प्रतीक है.
धर्मचक्र के 24 अरे हैं जो दिन और रात के
चौबीस घंटों के प्रतीक हैं. अपने राष्ट्रीय ध्वज
की लंबाई और चौडाई का अनुपात निश्चित है.
चौडाई और लंबाई दो व तीन के अनुपात में
होती है.बीच के सफेद रंग के हिस्से पर गहरे नीले
रंग का चक्र, सफेद रंग के चौडाई के अनुपात में
होता है. हमारे देश का राष्ट्रिय गीत जन गण
मन रवींद्रनाथ टेगोर ने लिखा है.
उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास सारनाथ
की प्रसिध्द सिंह लाट की प्रतिकृति अपने देश
का राष्ट्रीय चिह्न है. सारनाथ की यह सिंह
लाट सम्राट अशोक ने ईसा से तीन सौ साल
पहले बनवाई थी.यह वही जगह है जहां भगवान
बुध्द ने अपना सबसे पहला धर्मर् - उपदेश
दिया था और शांति तथा विश्व के उध्दार के
लिये चार आदर्श सत्यों का मार्ग
दिखाया था.चारों दिशाओं की ओर मुंह किये हुए
ये चार सिंह ( एक पीछे अदृश्य) एक गोल शीर्ष
फलक पर है. शीर्ष फलक के चारों ओर
चारों दिशाओं के रक्षक पशु उत्कीर्ण हैं. उत्तर
दिशा की ओर शेर , दक्षिण दिशा की ओर घोडा
, पूर्व दिशा की ओर हाथी और पश्चिम
दिशा की ओर सांड या बैल है. शीर्ष फलक एक
संपूर्ण खिले हुए कमल के फूल पर आधारित है.
राष्ट्रचिह्न के नीचे देवनागरी लिपी में
सत्यमेव जयते लिखा है जिसका अर्थ है कि केवल
सत्य की ही विजय होती है.
पीले रंग का काली धारियों वाला यह बाघ
हमारे देश का राष्ट्रीय पशु है. यह
अपनी शक्ति और आकर्षक बनावट के लिये
लोकप्रिय है. यह एक दुर्लभ पशु है इसलिये
भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टायगर के नाम
अन्तर्गत बाघ संरक्षण का एक कार्यकम शुरू
किया है.
रंग-बिरंगे पंखों वाला मोर हमारा राष्ट्रीय
पक्षी है. ये छोटे झुंड बना कर पानी के पास
रहते है.नर जब अपने रंगबिरंगी पंख फैला कर उसे
पंखा जैसे बनाता है तो उसकी सुंदरता देखते
ही बनती है.
कमल
हमारा राष्ट्रीय पुष्प है. यह पानी मे
पैदा होता है और बडे बडे पत्तों के साथ
पानी के उपर खिलता है.एक के उपर एक बहुत
सी पंखुरियों की सतहों वाला यह फूल सुंदर
रंगों के कारण आंखो को तो भाता ही है , साथ
साथ सुगंध भी फैलाता है. पुराणों तथा पुराने
ग्रंथों में भी इसका उल्लेख है.
आम
हमारा राष्ट्रीय
फल है. विश्व के उष्ण
कटिबन्ध में यह
लगभग हर जगह
पाया जाता है.
पौष्टिक तत्वों से
भरा यह फल भारत में
काफी रंग रूप और किस्मों में पाया जाता है.
कहते है , कालिदास नें इसके गुन गायें है ,
अलेक्झांडर ने इसे खा कर अपनाया था , अकबर ने
तो इसके 100,000 पौधे दरभंगा के लाखीबाग
में लगावाए थे.
बरगद भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है.यह
अपनी टहनियों से ही नई जडें उगा कर
नया पौधा तैयार कर लेता है. इस कारण यह
पौधा अमर माना गया है.इसकी घनी छांह
गर्मी में बडी शीतलता प्रदान करती है.
गांवों के जीवन का यह प्रमुख केन्द्र होता है.
चौपाल में गांव के सभी लोग यहीं मिलते हैं.
धार्मिक दृष्टि से भी इसे पूजनीय
माना गया है.
दीपिका जोशी
अगस्त 15, 2000
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