Posts

Showing posts from 2014

पत्थर में भगवान

Image
कोई कहे की की हिन्दू मूर्ति पूजा क्यों करते हैं तो उन्हें बता दें मूर्ति पूजा का रहस्य :- स्वामी विवेकानंद को एक राजा ने अपने भवन में बुलाया और बोला, “तुम हिन्दू लोग मूर्ति की पूजा करते हो! मिट्टी, पीतल, पत्थर की मूर्ति का.! पर मैं ये सब नही मानता। ये तो केवल एक पदार्थ है।” उस राजा के सिंहासन के पीछे किसी आदमी की तस्वीर लगी थी। विवेकानंद जी कि नजर उस तस्वीर पर पड़ी। विवेकानंद जी ने राजा से पूछा, “महाराज!, ये तस्वीर किसकी है?” राजा बोला, “मेरे पिताजी की।” स्वामी जी बोले, “उस तस्वीर को अपने हाथ में लीजिये।” राजा तस्वीर को हाथ मे ले लेता है। स्वामी जी राजा से : “अब आप उस तस्वीर पर थूकिए!” राजा : “ये आप क्या बोल रहे हैं स्वामी जी? स्वामी जी : “मैंने कहा उस तस्वीर पर थूकिए..!” राजा (क्रोध से) : “स्वामी जी, आप होश मे तो हैं ना? मैं ये काम नही कर सकता।” स्वामी जी बोले, “क्यों? ये तस्वीर तो केवल एक कागज का टुकड़ा है, और जिस पर कुछ रंग लगा है। इसमे ना तो जान है, ना आवाज, ना तो ये सुन सकता है, और ना ही कूछ बोल सकता है।” और स्वामी जी बोलते गए, “इसमें ना ही हड्डी है

कुवें का मेंढक

Image
एक कुंवे मे एक मेंढक रहता था। एक बार समुन्द्र का एक मेंढक कुंवे मे आ पहुंचा तो कुंवे के मेंढक ने उसका हालचाल, अता पता पूछा। जब उसे ज्ञांत हुआ कि वह मेंढक समुन्द्र मे रहता हैं और समुन्द्र बहुत बड़ा होता हैं तो उसने अपने कुंवे के पानी मे एक छोटा-सा चक्कर लगाकर उस समुन्द्र के मेंढक से पूछा कि क्या समुन्द्र इतना बड़ा होता हैं? कुंवे के मेंढक ने तो कभी समुन्द्र देखा ही नहीं था। समुन्द्र के मेंढक ने उसे बताया कि इससे भी बड़ा होता हैं। कुंवे का मेंढक चक्कर बड़ा करता गया और अंत मे उसने कुंवे की दीवार के सहारे-सहारे आखिरी चक्कर लगाकर पूछा- “क्या इतना बड़ा हैं तेरा समुन्द्र ?” इस पर समुन्द्र के मेंढक ने कहा- “इससे भी बहुत बड़ा?” अब तो कुंवे के मेंढक को गुस्सा आ गया। कुंवे के अलावा उसने बाहर की दुनिया तो देखी ही नहीं थी। उसने कह दिया- “जा तू झूठ बोलता हैं। कुंवे से बड़ा कुछ होता ही नहीं हैं। समुन्द्र भी कुछ नहीं होता।” मेंढक वाली ये कथा यह ज्ञांत करती हैं कि जितना अध्धयन होगा उतना अपने अज्ञान का आभास होगा। आज जीवन मे पग-पग पर ह्मे ऐसे कुंवे के मेंढक मिल जायेंगे, जो केवल यह

हार-जीत का फैसला

Image
बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ मेँ निर्णायक थीँ- मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। हार-जीत का निर्णय होना बाक़ी था, इसी बीच देवी भारती को शाश्त्रार्थ किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिये बाहर जाना पड़ गया। लेकिन जाने से पहले देवी भारती नेँ दोनोँ ही विद्वानोँ के गले मेँ एक-एक फूल माला डालते हुए कहा, येँ दोनो मालाएं मेरी अनुपस्थिति मेँ आपके हार और जीत का फैसला करेँगी। यह कहकर देवी भारती वहाँ से चली गईँ। शास्त्रार्थ की प्रकिया आगे चलती रही। कुछ देर पश्चात् देवी भारती अपना कार्य पुरा करके लौट आईँ। उन्होँने अपनी निर्णायक नजरोँ से शंकराचार्य और मंडन मिश्र को बारी- बारी से देखा और अपना निर्णय सुना दिया। उनके फैसले के अनुसार आदि शंकराचार्य विजयी घोषित किये गये और उनके पति मंडन मिश्र की पराजय हुई थी। सभी दर्शक हैरान हो गये कि बिना किसी आधार के इस विदुषी ने अपने पति को ही पराजित करार दे दिया। एक विद्वान नेँ देवी भारती से नम्रतापूर्वक जिज्ञासा की- हे ! देवी आप तो शास्त्रार्थ के मध्य ही चली गई थीँ फिर वापस

कोयले का टुकड़ा

Image
अमित एक मध्यम वर्गीय परिवार का लड़का था।  वह बचपन से ही बड़ा आज्ञाकारी और मेहनती छात्र था।  लेकिन जब से उसने कॉलेज में दाखिला लिया था उसका व्यवहार बदलने लगा था। अब ना तो वो पहले की तरह मेहनत करता और ना  ही अपने माँ-बाप की सुनता।  यहाँ तक की वो घर वालों से झूठ बोल कर पैसे भी लेने लगा था। उसका बदला हुआ आचरण सभी के लिए चिंता का विषय था।  जब इसकी वजह जानने की कोशिश की गयी तो पता चला कि अमित बुरी संगती में पड़ गया है।  कॉलेज में उसके कुछ ऐसे मित्र बन गए हैं जो फिजूलखर्ची करने , सिनेमा देखने और धूम्र-पान करने के आदि हैं। पता चलते ही सभी ने अमित को ऐसी दोस्ती छोड़ पढाई- लिखाई पर ध्यान देने को कहा ; पर अमित का इन बातों से कोई असर नहीं पड़ता , उसका बस एक ही जवाब होता , ” मुझे अच्छे-बुरे की समझ है , मैं भले ही ऐसे लड़को के साथ रहता हूँ पर मुझपर उनका कोई असर नहीं होता … “ दिन ऐसे ही बीतते गए और धीरे-धीरे परीक्षा के दिन आ गए , अमित ने परीक्षा से ठीक पहले कुछ मेहनत की पर वो पर्याप्त नहीं थी , वह एक विषय में फेल हो गया । हमेशा अच्छे नम्बरों से पास होने वाले अमित के लिए ये किसी जोरदार झटके से कम नहीं

लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रर्वतक जवाहरलाल नेहरु

Image
उच्चकोटी के विचारक तथा लोकतांत्रिक समाजवाद के समर्थक  जवाहरलाल नेहरु  महान मानवतावादी थे। बच्चों के प्रिय चाचा नेहरु अपने देश में ही नही वरन सम्पूर्ण विश्व में सम्मानित और प्रशंशनीय राजनेता थे। मानव-मात्र का उत्थान, चाचा नेहरू कल्याण तथा उनका सुख एवं आंनद नेहरु जी के चिंतन की धुरी थे। उनका मानवीय दृष्टीकोंण ही था कि, वे गुलामी को मनुष्य पर होने वाला सबसे बङा अत्याचार मानते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु संघर्ष करने वाले देश उन्हे अपना सच्चा हमदर्द और मसीहा मानते थे। मानवीय गरिमा को उच्चतम शिखर तक पहुँचाने वाले नेहरु जी के बारे में मलेशिया के प्रधानमंत्री  टुंकू अब्दुल्ल रहमान  का कहना था कि, “नेहरु मेरी प्रेरणा के स्रोत थे।” नेहरु जी को भारत से अगाध प्रेम था। उन्होने लिखा है कि, “हिन्दुस्तान मेरे खून में समाया हुआ है और उसमें बहुत कुछ ऐसी बातें हैं जो मुझे स्वभावतः प्रेरित करती हैं।” उन्होने अपनी पुस्तक  भारत एक खोज  में लिखा है, “किसी भी पराधीन देश के लिये राष्ट्रीय स्वतंत्रता प्रथम तथा प्रधान आकांक्षा होनी चाहिये।” नेहरु जी समाजवादी समाज के प्रबल समर्थक थे, वे लोकतंत्र को एक

The easiest way video calling on Facebook फेसबुक पर वीडियो कॉलिंग का आसान तरीका

क्या आप जानते हैं कि फेसबुक पर भी वीडियो कॉलिंग की जा सकती है। हालांकि इसके लिए दोनों तरफ वैबकैम और माइक्रोफोन लगे होने चाहिए ताकि आप एक दूसरे को देख सुन सकें। इसके अलावा वाइबर, स्काइप जैसी अन्य वेबसाइटें भी हैं जहां यह सुविधा उपलब्ध पहले से ही उपलब्ध है। फेसबुक वीडियो कॉल स्टेप्स -चैट विंडो ओपन करें। -राइट विंडो पर कैमरा आइकन क्लिक करें। -राइट टॉप पर मैसेज आएगा "स्टार्ट वीडियो कॉल विद ..." -अगर आपका दोस्त अवेलेबल नहीं है तो मैसेज होगा "... इज करंटली अनअवेलेबल फॉर वीडियो कॉलिंग"। -वीडियो कॉल शुरू करें। -कॉल खत्म होने के बाद विंडो बंद करें। -चैट और वीडियो कॉल दोनों एक साथ किए जा सकते हैं। -एक से ज्यादा लोगों के साथ ग्रुप वीडियो कॉलिंग की जा सकती है। -वीडियो कॉलिंग अनइंस्टॉल करने के लिए विंडो बंद कर दें।

Be the biggest qualities of character चरित्रवान होना सबसे बडा गुण

नोबेल पुरस्कार प्राप्त सर सीवी रमन भौतिक विज्ञान के प्रख्यात वैज्ञानिक थे। उन्हें अपने विभाग के लिए एक योग्य वैज्ञानिक की आवश्यकता थी। उन्होंने अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाया, जिसे पढ़कर उनके पास कई आवेदन आए। सर सीवी रमन ने उनमें से कुछ का चयन किया और उन्हें साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया। साक्षात्कार के लिए आए लोगों में एक नवयुवक था, जिसे रमन ने अस्वीकार कर दिया था। थोड़ी देर बाद जब साक्षात्कार समाप्त हो गया तो रमन ने गौर किया कि वह नवयुवक अब भी उनके कार्यालय के आसपास घूम रहा है। वे तत्काल उसके पास पहुंचे और नाराजगी जताते हुए बोले, जब मैंने तुम्हें अस्वीकार कर दिया है तब तुम यहां क्यों घूम रहे हो? यहां तुम्हें नौकरी नहीं मिलने वाली। जाओ, घर चले जाओ। तब उस युवक ने विनम्रता से कहा, 'सर, आप नाराज न हों। मुझे यहां आने-जाने का जो किराया दिया गया, वह भूल से कुछ अधिक है। इसलिए मैं यह अतिरिक्त राशि वापस लौटाने के लिए कार्यालय के लिपिक को खोज रहा हूं।' सर रमन उसकी बात सुनकर विस्मित हुए। फिर कुछ सोचकर बोले मैंने तुम्हारा चयन कर लिया है, तुम चरित्रवान हो।

रेलवे, ssc 10+2, ssc cgl, Ib, पुलिस, पुलिस si आने वाली सभी परिक्षाओं के लिए अति महत्वपूर्ण

(1). "गोडवाना" नामक कोयला क्षेत्र स्थित है। उत्तर → [ मध्यप्रदेश ] (2). शहतुत एक प्रकार का उत्तर → [ ऊन हैं ] (3). "दमन गंगा" किस प्राचीन नदी का नाम हैं। उत्तर → [ ताप्ती नदी का ] (4). 'डबल जीरो' किस फसल की उन्नत किस्म हैं। उत्तर → [ सरसों ] (5). मेसेटा एक विस्तृत पठार है, जो स्थित है। उत्तर → [ फ़्रांस में ] (6). उपन्यास 'पिंजर' के रचियता कौन हैं। उत्तर → [ अमृता प्रीतम ] (7). 'सागादावा' किस धर्म का प्रमुख पर्व हैं। उत्तर → [ बौद्ध ] (8). कौन-सी गैस फूलो का रंग उडा देती हैं। उत्तर → [ क्लोरिन ] (9). लूनी नदी किस राज्य में प्रवाहित होती हैं। उत्तर → [ राजस्थान ] (10). भारत में ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख स्त्रोत हैं। उत्तर → [ कोयला ] (11). भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी हैं। उत्तर → [ बेरन आइलेण्ड ] (12). कर्नाटक का अर्थ हैं। उत्तर → [ लहरदार भूमि ] (13). विश्व के किस महाद्वीप को 'मानव घर' कहा जाता हैं। उत्तर → [ एशिया ] (14). महाबलेश्वर किस राज्य में स्थित हैं। उत्तर → [ महाराष्ट्र ] (15). कोयला किस

The true story of our life हमारे जीवन की सत्य कहानी

1. माँ से बढकर कोई महान नही है। 2. पिता से बढकर कोई मार्गदर्शक नही है। 3. गुरु से बढकर कोई ज्ञानी नही है। 4.भाई से बढकर कोई भरोसेमंद नही है। 5. बहन से बढकर कोई रिश्ता नही है। 6. पति या पत्नि से बढकर कोई जीवन साथी नही है। 7. पुत्र से बढकर कोई सहारा नही है। 8. पुत्री से बढकर कोई सेवा करने वाला नही है। 9. मित्रता से बढकर कोई प्रेम नही है। बस एक ही वजह है इन रिश्तो के बिगडने की, और वो है- ''व्यक्तिगत स्वार्थ''।

GK QUIZ HINDI.

1. भारत में "शिक्षा" को किस सूची में शामिल किया गया है ? (1) संघ सूची (2) राज्य सूची (3) समवर्ती सूची (4) यू. जी. सी. सूची Answer – समवर्ती सूची 2. फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान किस राज्य में है ? (1) जम्मू कश्मीर (2) हिमाचल प्रदेश (3) उत्तराखंड (4) केरल Answer – उत्तराखंड 3. ओलंपिक खेल 2016 का आयोजन किस देश में किया जायेगा ? (1) चीन (2) ऑस्ट्रेलिया (3) ब्राजील (4) भारत Answer – ब्राजील 4. भारत में कर्क रेखा कितने राज्यों से होकर गुजरती है ? (1) 5 (2) 6 (3) 7 (4) 8 Answer – 8 5. राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् के रचयिता कौन थे ? (1) रवीन्द्रनाथ टैगोर (2) बंकिम चन्द्र चटर्जी (3) शरत चंद्र चटर्जी (4) सरोजिनी नायडू Answer – बंकिम चन्द्र चटर्जी 6. किस देश का राष्ट्रीय खेल 'शतरंज' है ? (1) फ्रांस (2) रूस (3) सूडान (4) यू एस ए Answer – रूस 7. मेंढक के ह्रदय में कितने कक्ष होते है ? (1) 1 (2) 2 (3) 3 (4) 4 Answer – 3 Q8. "जिन्ना हाउस" किस शहर में स्थित है ? (1) दिल्ली (2) लखनऊ (3) हैदराबाद (4) मुम्बई Ans. (4) मुम्बई

Indian minister

दोस्तों आजकल Exam में मंत्रियों के नाम पूंछे जाते है ... अच्छा रहेगा अगर आप नोट कर लें. और याद कर लें... १- नरेंद्र मोदी - प्रधानमंत्री भारत सरकार ( सांसद वाराणसी उत्तर प्रदेश ) २- राजनाथ सिंह - गृहमंत्री (सांसद लखनऊ उत्तर प्रदेश ) ३- सुषमा स्वराज - विदेशमंत्री ४- अरुणजेटली - वित्त मंत्री ५- वेंकैया नायडू - शहरी विकाशमंत्री ६- नितिन गडकरी - भूतल परिवहन और शिपिंग मंत्री ७- सदानंद गौड़ा - रेल मंत्री ८- उमाभारती - जल संसाधन एवं गंगा अभियान मंत्री ( सांसद झाँसी उत्तर प्रदेश ) ९- नजमा हेपतुल्ला - अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री १० - प्रकश जावड़ेकर - संसदीय कार्य राज्य मंत्री ११- रामविलास पासवान - उपभोक्ता मामलों के मंत्री (लोकजनशक्ति पार्टी ) १२- कलराज मिश्र - उद्योग मंत्री ( सांसद देवरिया उत्तर प्रदेश ) १३- मेनका गांधी - महिला एवं बालविकाश मंत्री ( सांसद पीलीभीत उत्तर प्रदेश ) १४- अनंत कुमार - कैबिनेट मंत्री १५- रविशंकर प्रसाद - कानून मंत्री

Countries & Curriences

***Countries & Curriences*** U. K. - Pound Sterling U. S. A - Dollar Norway - Krone Vatican City State - Lira Iraq - Iraqi Dinar Isreal - Shekel Japan - Yen Kazakhstan - Tenge Kuwait - Kuwaiti Dinar Malaysia - Ringgit Mexico - Peso Myanmar - Kyat Russia - Rouble Saudi Arabia - Riyal Vietnam - Dong Algeria - Algeria Dinar Angola - New Kwanza Armenia - Dram Azerbaijan - Manat Austria - Schilling Bahrain - Dinar Ghana - Cedi Indonesia - Rupiah

I am Viewing gone bad बुरा जो देखन मै चला

पुराने जमाने की बात है। एक गुरुकुल के आचार्य अपने शिष्य की सेवा भावना से बहुत प्रभावित हुए। विद्या पूरी होने के बाद शिष्य को विदा करते समय उन्होंने आशीर्वाद के रूप में उसे एक ऐसा दिव्य दर्पण भेंट किया, जिसमें व्यक्ति के मन के भाव को दर्शाने की क्षमता थी। शिष्य उस दिव्य दर्पण को पाकर प्रसन्न हो उठा। उसने परीक्षा लेने की जल्दबाजी में दर्पण का मुंह सबसे पहले गुरुजी के सामने कर दिया। वह यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि गुरुजी के हृदय में मोह, अहंकार, क्रोध आदि दुर्गुण परिलक्षित हो रहे थे। इससे उसे बड़ा दुख हुआ। वह तो अपने गुरुजी को समस्त दुर्गुणों से रहित सत्पुरुष समझता था। दर्पण लेकर वह गुरुकूल से रवाना हो गया। उसने अपने कई मित्रों तथा अन्य परिचितों के सामने दर्पण रखकर परीक्षा ली। सब के हृदय में कोई न कोई दुर्गुण अवश्य दिखाई दिया। और तो और अपने माता व पिता की भी वह दर्पण से परीक्षा करने से नहीं चूका। उनके हृदय में भी कोई न कोई दुर्गुण देखा, तो वह हतप्रभ हो उठा। एक दिन वह दर्पण लेकर फिर गुरुकुल पहुंचा। उसने गुरुजी से विनम्रतापूर्वक कहा, 'गुरुदेव, मैंने आपके दिए दर

माँ बाप की सेवा

एक बालक अपने माँ-बाप की खूब सेवा किया करता ! उसके दोस्त उससे कहते कि अगर इतनी सेवा तुमने भगवान की की होती तो तुम्हे भगवान मिल जाते ! लेकिन इन सब चीजो से अनजान वो अपने माता पिता की सेवा करता रहा ! एक दिन उसकी माँ बाप की सेवा-भक्ति से खुश होकर भगवान धरती पर आ गये ! उस वक्त वो बालक अपनी माँ के पाँव दबा रहा था ! भगवान दरवाजे के बाहर से बोले- दरवाजा खोलो बेटा मैं तुम्हारी माता- पिता की सेवा से प्रसन्न होकर तुम्हे वरदान देने आया हूँ ! बालक ने कहा -इंतजार करो प्रभु मैं माँ की सेवा मे लगा हूँ ! भगवान बोले -देखो मैं वापस चला जाऊँगा ! बालक ने कहा -आप जा सकते है भगवान मैं सेवा बीच मे नही छोड़ सकता ! कुछ देर बाद उसने दरवाजा खोला तो क्या देखता है भगवान बाहर खड़े थे ! भगवान बोले -लोग मुझे पाने के लिये कठोर तपस्या करते है पर मैं तुम्हे सहज ही मे मिल गया पर तुमने मुझसे प्रतीक्षा करवाई ! बालक ने जवाब दिया -हे ईश्वर जिस माँ बाप की सेवा ने आपको मेरे पास आने को मजबूर कर दिया उन माँ बाप की सेवा बीच मे छोड़कर मैं दरवाजा खोलने कैसे आता ! यही इस जिंदगी का सार है !

George Bernard Shaw जार्ज बर्नार्ड शॉ

अंग्रेजी के प्रसिद्ध साहित्यकार जार्ज बर्नार्ड शॉ को कौन नहीं जानता । उन्होंने अपना जीवन प्रापर्टी डीलर के यहाँ उसके कार्यालय में क्लर्क की नौकरी से प्रारंभ किया था। प्रापर्टी डीलर और कई काम करता था यथा मकानों को किराए पर उठाना, बीमा एजेंसी चलाना आदि । उसके यहाँ शॉ का काम था मकानों तथा अन्य स्थानों के किराए वसूल करना, बीमे की किश्तें उगाहना, टैक्सों की वसूली और अदायगी कराना । ये काम करते समय उन्हें बड़ी-बड़ी रकमों का लेन-देन करना पड़ता था और बड़े-बड़े प्रतिष्ठित व्यक्तियों से संपर्क करना पड़ता था । स्वभाव से बर्नार्ड शॉ इतने विनम्र थे कि किसी के साथ सख्ती या जोर जबर्दस्ती नहीं कर पाते थे और लोग थे कि उनकी परवाह ही नहीं करते । इन कारणों से वे अपने काम में अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं कर पा रहे थे । यद्यपि उनके मालिक को इससे कोई शिकायत नहीं थी, परंतु स्वयं बर्नार्ड शॉ को अपने काम से संतोष नहीं था । एक दिन उन्होंने अपने मालिक को सूचित करते हुए पत्र लिखा, जिसे त्याग पत्र की ही संज्ञा दी जा सकती है कि 'महोदय मैं आपको सूचित कर देना चाहता हूँ कि इस महीने के बाद

आकांक्षाएँ उचित और सोद्देश्य हों

न जाने किस कारण लोगों के मन में यह भ्रम पैदा हो गया है कि ईमानदारी और नीतिनिष्ठा अपनाकर घाटा और नुकसान ही हाथ लगता है । संभवतः इसका कारण यह है कि लोग बेईमानी अपनाकर छल-बल से, धूर्तता और चालाकी द्वारा जल्दी-जल्दी धन बटोरते देखे जाते हैं । तेजी से बढ़ती संपन्नता देखकर देखने वालों के मन में भी वैसा ही वैभव अर्जित करने की आकांक्षा उत्पन्न होती है । वे देखते हैं कि वैभव संपन्न लोगों का रौब और दबदबा रहता है । किंतु ऐसा सोचते समय वे यह भूल जाते हैं कि बेईमानी और चालाकी से अर्जित किए गए वैभव का रौब और दबदबा बालू की दीवार ही होती है, जो थोड़ी- सी हवा बहने पर ढह जाती है तथा यह भी कि वह प्रतिष्ठा दिखावा, छलावा मात्र होती है क्योंकि स्वार्थ सिद्ध करने के उद्देश्य से कतिपय लोग उनके मुँह पर उनकी प्रशंसा अवश्य कर देते हैं, परंतु हृदय में उनके भी आदर भाव नहीं होता । इसके विपरीत ईमानदारी और मेहनत से काम करने वाले, नैतिक मूल्यों को अपनाकर नीतिनिष्ठ जीवन व्यतीत करने वाले भले ही धीमी गति से प्रगति करते हों परन्तु उनकी प्रगति ठोस होती है तथा उनका सुयश देश काल की सीमाओं को लांघकर

Things in life जीवन में काम की बातें

1) खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..! 2) दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंशा करो..! 3) खुद की भुल स्वीकार ने मेँ कभी भी संकोच मत करो..! 4) किसी के सपनो पर हँसो मत..! 5) आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..! 6) रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..! 7) खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..! 8) किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पुछो..! 9) कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..! 10) ईश्वर पर पुरा भरोशा रखो..! 11) प्रार्थना करना कभीमत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..! 12) अपने काम से मतलब रखो..! 13) समय सबसे ज्यादा किमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..! 14) जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..! 15) बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो करो, क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबोही देती है..! 16) हमेशा सकारात्मक सोच रखो..! 17) हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..! 18) कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर आप वह

किसी झूठ को बार-बार बोलने से वह सच की तरह लगने लगता है। pade puri khani.

किसी गांव में सम्भुदयाल नामक एक ब्राह्मण रहता था। एक बार वह अपने यजमान से एक बकरा लेकर अपने घर जा रहा था। रास्ता लंबा और सुनसान था। आगे जाने पर रास्ते में उसे तीन ठग मिले। ब्राह्मण के कंधे पर बकरे को देखकर तीनों ने उसे हथियाने की योजना बनाई। एक ने ब्राह्मण को रोककर कहा, "पंडित जी यह आप अपने कंधे पर क्या उठा कर ले जा रहे हैं। यह क्या अनर्थ कर रहे हैं? ब्राह्मण होकर कुत्ते को कंधों पर बैठा कर ले जा रहे हैं।" ब्राह्मण ने उसे झिड़कते हुए कहा, "अंधा हो गया है क्या? दिखाई नहीं देता यह बकरा है।" पहले ठग ने फिर कहा, "खैर मेरा काम आपको बताना था। अगर आपको कुत्ता ही अपने कंधों पर ले जाना है तो मुझे क्या? आप जानें और आपका काम।" थोड़ी दूर चलने के बाद ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला। उसने ब्राह्मण को रोका और कहा, "पंडित जी क्या आपको पता नहीं कि उच्चकुल के लोगों को अपने कंधों पर कुत्ता नहीं लादना चाहिए।" पंडित उसे भी झिड़क कर आगे बढ़ गया। आगे जाने पर उसे तीसरा ठग मिला। उसने भी ब्राह्मण से उसके कंधे पर कुत्ता ले जाने का कारण पूछा। इस ब

Interesting Facts about India भारत के बारे में रोचक तथ्य

1. बीजगणित, त्रिकोणमिति और कलन जैसी गणित की अलग-अलग शाखाओं का जन्म भारत में हुआ था। 2. 1982 में भारतीय सेना द्वारा लद्दाख घाटी में सुरु और द्रास नदी के बीच निर्मित बेली ब्रिज विश्व में सर्वाधिक ऊँचाई पर बना पुल है। 3. शल्य चिकित्सा का प्रारंभ 2600 वर्ष पूर्व भारत में हुआ था। अनेक प्राचीन ग्रंथों में गुरु सुश्रुत और उनकी टीम द्वारा आँखों को मोतियाबिंदु से मुक्त करने, प्रसव कराने, हड्डियाँ जोड़ने, पथरी निकालने, अंगों को सुंदर बनाने और मस्तिष्क की चिकित्सा में शल्य क्रिया करने के उल्लेख मिलते हैं। 4. नौकायन की कला का आविष्कार विश्व में सबसे पहले 6,000 वर्ष पूर्व भारत की सिंधु घाटी में हुआ था। 5. भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त (598-668) तत्कालीन गुर्जर प्रदेश के प्रख्यात नगर उज्जैन की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे। 6. 'पाई' की कीमत, संसार में सबसे पहले, छठवीं शताब्दी में, भारतीय गणितज्ञ बुधायन द्वारा पता की गई थी. 7. ईसा से 800 वर्ष पूर्व स्थापित तक्षशिला विश्वविद्यालय(आ धुनिक पाकिस्तान) में 20,500 से अधिक विद्यार्थी 60 से अधिक विषयों की शिक्षा प्र

भारतीय राज्य,भारतीय केन्द्र शासित प्रदेश,भारतीय राष्ट्रपति,भारतीय प्रधानमंत्री

भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश (इटानगर), • असम (दिसपुर), • उत्तर प्रदेश (लखनऊ), • उत्तराखण्ड (देहरादून), • ओड़िशा (भुवनेश्वर), • आंध्र प्रदेश (हैदराबाद), • कर्नाटक (बंगलोर), • केरल (तिरुवनंतपुरम), • गोआ (पणजी), • गुजरात (गांधीनगर), • छत्तीसगढ़ (रायपुर), • जम्मू और कश्मीर (श्रीनगर/ जम्मू), • झारखंड (रांची), • तमिलनाडु (चेन्नई), • तेलंगाना (हैदराबाद), • त्रिपुरा (अगरतला), • नागालैंड (कोहिमा), • पश्चिम बंगाल (कोलकाता), • पंजाब (चंडीगढ़), • बिहार (पटना), • मणिपुर (इम्फाल), • मध्य प्रदेश (भोपाल), • महाराष्ट्र (मुंबई), • मिज़ोरम (आइजोल), • मेघालय (शिलांग), • राजस्थान (जयपुर), सिक्किम (गंगटोक), • हरियाणा (चंडीगढ़), • हिमाचल प्रदेश (शिमला) भारतीय केन्द्र शासित प्रदेश अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह(पोर्ट ब्लेयर), • चंडीगढ़ (चंडीगढ़), • दमन और दीव (दमन), • दादरा और नागर हवेली (सिलवासा), • पॉण्डिचेरी (पुडुचेरी), • लक्षद्वीप (कवरत्ती), • दिल्ली (नई दिल्ली) भारतीय संसद संसद भवन • लोक सभा • राज्य सभा • सांसद भारतीय राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन • ज़

UPSC, Railway, Bank PO.SSC GK

1. 'इक्ता' क्या था? (A) अभिजात की आय (B) जमीन का टुकड़ा (C) सेना (D) शाही शिविर उत्तर : (D) 2. औरंगजब ने सन 1663 ई. में सतीप्रथा पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया था। इसके पूर्व किस मुगल शासक ने सतीप्रथा को बन्द करने का प्रयास किया? (A) हुमायूँ (B) अकबर (C) शाहजहाँ (D) इनमें से कोई नहीं उत्तर : (D) 3. चोल प्रशासन में 'उदैकोटटम' नामक अधिकारी का क्या कार्य था? (A) राजा के उपदेशों को लिखना (B) ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन करना (C) कर वसूलना (D) इनमें से कोई नहीं उत्तर : (D) 4. विजयनगर राज्य का संस्थापक कौन था? (A) देवराय-I (B) हरिहर (C) कृष्णदेवराय (D) हरिहर और बुक्का उत्तर : (D) 5. 'तोलकपिपयम' की विषय-वस्तु क्या है? (A) धर्म (B) राजनीति (C) दर्शन (D) व्याकरण व कविता उत्तर : (D) 6. मध्यकाल में कश्मीर का सबसे महान सुल्तान कौन था जिसे 'बुदशाह' भी पुकारा जाता है? (A) शाह-मीर (B) जैनुल अबीदिन (C) महमूद (D) हसन उत्तर : (D) 7. भूमि पैमाइश के सन्दर्भ में 'भाओली' का क्या अर्थ है? (A) तैयार अनाज का अल्प भाग (B) प्रति इकाई क्षे

दया के समान कोई धर्म नहीं

एक बार एक देवमन्दिर में कोई उत्सव था। नगरवासी प्लेटो को उसमें सम्मिलित होने के लिए सम्मानपूर्वक ले आये। नगरवासियों के प्रेम और आग्रह को प्लेटो ठुकरा न सके। उत्सव में सम्मिलित हुए। मन्दिर में जाकर एक नया ही दृश्य देखने को मिला। जो भी आता एक पशु अपने साथ लाता। देवप्रतिमा के सामने खड़ा कर, उस पर तेज अस्त्र से प्रहार किया जाता। दूसरे क्षण वह पशु तड़पता हुआ अपने प्राण त्याग देता और दर्शक यह सब देखते, हँसते, इठलाते और नृत्य करते। जीव-मात्र की अन्तर्व्यथा की अनुभूति रखने वाले प्लेटो को यह दृश्य देखा न गया। उन्होंने पहली बार धर्म के नाम पर ऐसे नृशंस आचरण के दर्शन किये। वहाँ दया, करुणा, संवेदना और आत्म-परायणता का कोई स्थान नहीं था। वे उठकर चलने लगे। उनका हृदय अन्तर्नाद कर रहा था। तभी एक सज्जन ने उसका हाथ पकड़कर कहा- मान्य अतिथि! आज तो आपको भी बलि चढ़ानी होगी, तभी देवप्रतिमा प्रसन्न होगी। लीजिए यह रही तलवार और यह रहा बलि का पशु। प्लेटो ने शान्तिपूर्वक थोड़ा पानी लिया। मिट्टी गीली की। उसी का छोटा-सा जानवर बनाया। देवप्रतिमा के सामने रखा, तलवार चलाई और उसे काट दिया और फिर

मन का नियंत्रण

किसी गाँव में एक बालक रहता था। उसने हाथी, बैलगाड़ी, रेल, मोटर आदि सभी सवारियाँ चढ़ी थीं। ऊँट के विषय में उसने सुना था, चढ़ा नहीं था। उसकी इच्छा सदैव ऊँटकी सवारी करने को हुआ करती थी। एक बार वह घर को लौट रहा था। रास्ते में एक व्यापारी अपने ऊँट को बिठाकर नदी में स्नान करने चला गया था। ऊँट को विश्राम देने के लिए उसने काँठी और नकेल दोनों खोल दी थीं। ऊँट देखते ही बालक प्रसन्नता से नाचने लगा। वर्षों की अधूरी साध पूरी करने का इससे सुंदर अवसर कहाँ मिलताॽ छलाँग लगाई और ऊँट की पीठ पर जा बैठा। अपने स्वभाव के अनुसार ऊँट एकाएक उठा और रास्ते–कुरास्ते भाग चला। लड़का घबराया, पर अब क्या हो सकता थाॽ नकेल थी नहीं, ऊँट को काबू कैसे करताॽ जिधर जी आया, ऊँट उधर ही भागता रहा। बालक की घबराहट भी उतनी बढ़ती गई। मार्ग में दो पथिक जा रहे थे, बालक की घबराहट देखकर उनने पूछा–– "बालक कहाँ जाओगेॽ" लड़के ने सिसकते हुए जवाब दिया––" भाई जाना तो घर था किंतु अब तो जहाँ ऊँट ले जाए वहीं जाना है।" इसी बीच वह एक पेड़ की डाली से टकराया और लहूलुहान होकर भूमि पर जा गिरा। बालक की कहानी

बड़े काम के मोह में छोटे की अवहेलना न हो

वह अत्यंकत वृद्ध थी। फिर भी इस वृद्धावस्थाव में भी उसे बोझा ढोने का काम करना पड़ता था। पेट पालने के लिए शायद उसके पास और कोई रास्ताप भी न था। इस समय वह सड़क के किनारे इस आशा में खड़ी थी कि कोई उसके भारी गट्ठर को उठाने में उसकी सहायता कर दे। तभी एक व्याक्ति उसी सड़क से उसके पास से होकर गुजरा। वृद्धा मजदूरनी ने उससे सहायता की याचना की। उस व्यकक्तिर के चेहरे पर कुछ अजीब से भाव उभरे और उसने नाक–भौं सिकोड़ते हुए कहा– ʺअभी मुझे समय नहीं है, मुझे बड़ा काम करना है, बड़ा बनना है।ʺ और वह आगे बढ़ गया। थोड़ी दूर आगे एक वृद्ध गाड़ीवान् ने उसके हृष्टह–पुष्टस शरीर को देखते हुए कीचड़ में फँसी अपनी गाड़ी का पहिया निकलवाने के लिए उससे अनुनय की। वह झल्ला कर बोला– ʺवाह जी वाहǃ बड़े बेवकूफ हो तुमǃ मैं भला अपने कपड़ों को क्यों खराब करूँॽ मुझे बड़ा काम करना है, बड़ा आदमी बनना है।ʺ थोड़ा आगे बढ़ने पर उसे एक अंधी बुढि़या दीख पड़ी। उसकी आहट पाकर उसने उस व्यफक्तिर से बड़े ही दयनीय भाव से कहा– ʺअरे भाई क्याक तुम मुझे बायीं ओर वाली झोपड़ी तक पहुँचाने में मेरी मदद करोगेॽ तुम्हायरा बड़ा अहसा

hindi gk 2014

एशियाई खेलों में मुक्केबाजी के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला कौन बनीं हैं? Answer: मैरीकॉम * भारतीय हॉकी टीम ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है| यह अब ओलंपिक खेलों के लिये क्वालीफाई हो गई है| अगले ओलंपिक कहाँ होंगे? Answer: रियो डी जनेरियो अगला ओलंपिक ब्राजील में होगा| * मंगलयान के पास मंगल ग्रह पर किस गैस का पता लगाने के लिए उपकरण है ? Answer: मेथेन मंगलयान के पास ,मंगल ग्रह पर मेथेन का पता लगाने के लिए मेथेन सेंसर है| * किस सोशल नेटवर्किंग साइट को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है ? Answer: ऑरकुट * सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ऑरकुट(Orkut) किस कंपनी के स्वामित्व में थी ? Answer: गूगल

दृण संकल्पवान लाल बहादुर शास्त्री

Image
साधनो का अभाव प्रगति में बाधक नही होता, ये प्रेरणा बचपन से लिये परिस्थिती से जूझते हुए एक बालक अपनी विधवा जय जवान जय किसान माँ का हर संभव सहारा बनने का प्रयास कर रहा था। उसी दौरान भारत माता को गुलामी से आजाद कराने के लिये असहयोग आन्दोलन का शंखनाद हुआ। ये वाक्या 1921 का है, जब अनेक लोग भारत माता को स्वतंत्र कराने के लिये अपना सर्वस्व बलिदान करने को आतुर थे। देशभक्ति की इस लहर में 16 वर्षिय लाल बहादुर शास्त्री जी का मन भी आन्दोलन में जाने को अधीर हो गया। वे अपने अध्यापक से इस आन्दोलन का हिस्सा बनने की अनुमति लेने गये परंतु गुरू जी ने समझाया कि, बेटा हाई स्कूल की परिक्षा में कुछ दिन बचे हैं परिश्रम करके अच्छे नम्बरों से पास हो जाओगे तो माँ को सहारा हो जायेगा। विद्यालय छोडकर आन्दोलन में जाने की इजाजत रिश्तेदारों ने भी नही दी। फिर भी युवा लाल बहादुर शास्त्री जी अपने अंतःकरण की आवाज को रोक नही पाये और अपने तथा अपनी माँ के हित को देश हित पर बलिदान करने के लिये निकल पडे। शास्त्री जी का  जन्म  2 अक्टुबर 1904 को मुगलसराय में हुआ था। पिता शारदा प्रसाद शिक्षक थे। शास्त्री जी के बाल्यकाल म

List of Some Major Movements related to Independence of India

• Government of India Act 1858 • Indian National Congress (1885) • Partition of Bengal (1905) • Muslim League (1906) • Swadeshi Movement (1905) • Morley-Minto Reforms (1909) • Lucknow Pact (1916) • Home Rule Movement (1915- ¬1916) • The Gandhian Era (1918-1947) • Khilafat Movement (1920) • The Rowlatt Act (1919) • Jallianwalla Bagh Massacre (1919) • Non-Cooperation Movement (1920) • Chauri Chaura Incident (1922) • Swaraj Party (1922) • Simon Commission (1927) • Dandi March (1930) • Gandhi-Irwin Pact (1931) • The Government of India Act, 1935 • Quit India Movement (1942) • Cabinet Mission Plan (1946) • Interim Government (1946) • Formation of Constituent Assembly (1946) • Mountbatten Plan (1947) • The Indian Independence Act, 1947 • Partition of India 1947

SSC GK,RPSC GK

एक बार जरूर पढेँ। 01) मानव शरीर मेँ 206 हड्डियाँ होती हैँ। 02) टंगस्टन सबसे कठोर धातु होता है। 03) एंजाइम विशेष प्रकार के प्रोटीन होते हैँ। 04) यकृत मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि होती है। 05) लाल रुधिर कणिकाएँ केन्द्रक विहीन कोशिकाएँ होती हैँ। 06) वायुमंडल मेँ सबसे अधिक मात्रा मेँ पाया जाने वाला तत्त्व नाइट्रोजन है। 07) स्टैथोस्कोप से हृदय की धड़कनोँ को सुना जा सकता है। 08) 0° केल्विन तापक्रम को परम शून्य तापमान कहते हैँ। –273° से. का केल्विन मेँ मान 0° केल्विन होता है। 09) भू-परत मेँ सबसे अधिक मात्रा मेँ पाया जाने वाला तत्त्व ऑक्सीजन है। 10) समतल दर्पण मेँ वस्तु का प्रतिबिम्ब समान दिखाई देता है जिसका उपयोग घरोँ मेँ किया जाता है ।

हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, सफलता अवश्य मिलेगी” !

अगर आप कोशिश करते हो और फिर भी सफलता नहीं मिलती तो निराश मत होना, बल्कि उस व्यक्ति को याद करना जिसने 21वें वर्ष में वार्ड मेंबर का चुनाव लड़ा और हार गया ! 22वें वर्ष में व्यवसाय करना चाहा तो नाकामयाब रहा ! फिर 27वें वर्ष में पत्नी ने तलाक दे दिया। 32वें वर्ष में सांसद पद के लिए खड़ा हुआ पर मात खा गया। 37वें वर्ष में कांग्रेस की सीनेट के लिए खड़ा हुआ, किंतु हार गया ! 42वें वर्ष में पुन: सांसद पद के लिए खड़ा हुआ, फिर हार गया ! 47वें वर्ष में उप-राष्ट्रपति पद के लिए खड़ा हुआ, पर परास्त हो गया ! लेकिन वही व्यक्ति 51 वर्ष की उम्र में अमेरिका राष्ट्रपति बना ! नाम था- अब्राहम लिंकन ! इसीलिए कहा गया है- "हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, सफलता अवश्य मिलेगी" !

Moral Story

एक चोर अक्सर एक साधु के पास आता और उससे ईश्वर से साक्षात्कार का उपाय पूछा करता था। लेकिन साधु टाल देता था। वह बार-बार यही कहता कि वह इसके बारे में फिर कभी बताएगा। लेकिन चोर पर इसका असर नहीं पड़ता था। वह रोज पहुंच जाता। एक दिन चोर का आग्रह बहुत बढ़ गया। वह जमकर बैठ गया। उसने कहा कि वह बगैर उपाय जाने वहां से जाएगा ही नहीं। साधु ने चोर को दूसरे दिन सुबह आने को कहा। चोर ठीक समय पर आ गया। साधु ने कहा, 'तुम्हें सिर पर कुछ पत्थर रखकर पहाड़ पर चढ़ना होगा। वहां पहुंचने पर ही ईश्वर के दर्शन की व्यवस्था की जाएगी।' चोर के सिर पर पांच पत्थर लाद दिए गए और साधु ने उसे अपने पीछे-पीछे चले आने को कहा। इतना भार लेकर वह कुछ दूर ही चला तो उस बोझ से उसकी गर्दन दुखने लगी। उसने अपना कष्ट कहा तो साधु ने एक पत्थर फिंकवा दिया। थोड़ी देर चलने पर शेष भार भी कठिन प्रतीत हुआ तो चोर की प्रार्थना पर साधु ने दूसरा पत्थर भी फिंकवा दिया। यही क्रम आगे भी चला। ज्यों-ज्यों चढ़ाई बढ़ी, थोडे़ पत्थरों को ले चलना भी मुश्किल हो रहा था। चोर बार-बार अपनी थकान व्यक्त कर रहा था। अंत में सब

असफलता सफलता से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है

सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीज़ें आपके विरोध में हो रहीं हों | चाहें आप एक प्रोग्रामर हैं या कुछ और, आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होता हैं जहाँ सब कुछ ग़लत हो रहा होता है| अब चाहे ये कोई सॉफ्टवेर हो सकता है जिसे सभी ने रिजेक्ट कर दिया हो, या आपका कोई फ़ैसला हो सकता है जो बहुत ही भयानक साबित हुआ हो | लेकिन सही मायने में, विफलता सफलता से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है | हमारे इतिहास में जितने भी बिजनिसमेन, साइंटिस्ट और महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार फेल हुए हैं | जब हम बहुत सारे कम कर रहे हों तो ये ज़रूरी नहीं कि सब कुछ सही ही होगा| लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ देंगे तो कभी सफल नहीं हो सकते | हेनरी फ़ोर्ड, जो बिलियनेर और विश्वप्रसिद्ध फ़ोर्ड मोटर कंपनी के मलिक हैं | सफल बनने से पहले फ़ोर्ड पाँच अन्य बिज़निस मे फेल हुए थे | कोई और होता तो पाँच बार अलग अलग बिज़निस में फेल होने और कर्ज़ मे डूबने के कारण टूट जाता| लेकिन फ़ोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज एक बिलिनेअर कंपनी के मलिक हैं | अगर विफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एड

Apne desh ko jano

हर देश की पहचान कुछ विशेष चिह्नों से होती है. देश का नक्शा या मानचित्र हमें देश की भौगोलिक स्थिति की सूचना देता है. राष्ट्रध्वज सभी महत्त्वपूर्ण सरकारी संस्थानों, राष्ट्रीय पर्वो और अन्तराष्ट्रीय घटनाओं पर देश की निशानी के रूप में प्रयोग किया जाता है. राष्ट्रचिह्न का उपयोग मुद्रा और सरकारी मुहरों पर होता है. राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत सभी राष्ट्रीय पर्वो पर, अन्तर्राष्ट्रीय अवसरों पर, पुलिस, सेना व सेना से संबंधित अन्य विभागों के विशेष अवसरों पर, तथा स्कूलों में गाया जाता है. राष्ट्रीय पशु, पक्षी, वृक्ष, फूल और फल हमें अपने देश की विशेषताओं से परिचित कराते हैं. हमारा राष्ट्रीय ध्वज खादी की अलग अलग रंगों वाली तीन पट्टियों से बना है. सबसे उपर केसरी रंग, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा रंग है. केसरी रंग राष्ट्र की शक्ति का प्रतीक है. यह हमें साहस त्याग और बलिदान की याद दिलाता है. बीच में सफेद रंग धर्मचक्र के साथ शांति, सत्य और पवित्रता का सूचक है. हरा रंग दृढ विश्वास और अपने देश की उपजाऊ मिट्टी की याद दिलाता है. सफेद रंग के मध्य में गहरे नीले रंग का धर्मचक्र्र न्याय

True motivational stories/poems/songs/ videos-सच्ची प्रेरणादायक कहानियां/कवि

एक कौआ जंगल में रहता था और अपने जीवनसे संतुष्ट था। एक दिन उसने एक हंस को देखा, "यह हंस कितना सफ़ेद है, कितना सुन्दर लगता है।" , उसने मन ही मन सोचा। उसे लगा कि यह सुन्दर हंस दुनिया में सबसे सुखी पक्षी होगा, जबकि मैं तो कितना काला हूँ ! यह सब सोचकर वह काफी परेशान हो गया और उससे रहा नहीं गया, उसने अपने मनोभाव हंस को बताये । हंस ने कहा – "वास्तिकता ऐसी है कि पहले मैं खुदको आसपास के सभी पक्षिओ में सुखी समझता था। लेकिन जब मैने तोते को देखा तो पाया कि उसके दो रंग है तथा वह बहुत ही मीठा बोलता है। तब से मुझे लगा कि सभी पक्षिओ में तोता ही सुन्दर तथा सुखी है।" अब कौआ तोते के पास गया। तोते ने कहा – "मै सुखी जिंदगी जी रहा था, लेकिन जब मैंने मोर को देखा तब मुझे लगा कि मुझमे तो दो रंग ही , परन्तु मोर तो विविधरंगी है। मुझे तो वह ही सुखी लगता है।" फिर कौआ उड़कर प्राणी संग्रहालय गया। जहाँ कई लोग मोर देखने एकत्र हुए थे। जब सब लोग चले गए तो कौआ उसके पास जाकर बोला –"मित्र , तुम तो अति सुन्दर हो। कितने सारे लोग तुम्हे देखने के लिए इकट्ठे ह

Chanakya ---- 15 Gnome sentence चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य

चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ---- 1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी." 2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार (सीधा साधा ) नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं." 3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. " 4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है." 5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?" 6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ." 7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है." "काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो." 9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है." 10)"

instructive stories

बहुत समय पहले की बात है एक भिश्ती था। उसके पास दो घडे थे। उन घडों को उसने एक लम्बे डंडे के दो किनारों से बांधा हुआ था। एक घडा था साबुत और सुन्दर परन्तु दूसरे घडे में दरार थी। भिश्ती हर सुबह नदी तट पर जा कर दोनों घडों में पानी भरता और फिर शुरू होता उसका लम्बा सफर ऊंची पहाडी चढ क़र मालिक के घर तक । जब तक वह वहां पहुंचता टूटे हुए घडे में से आधा पानी रास्ते में ही बह चुका होता जबकि साबुत घडे में पूरा पानी होता।बहुत समय तक ऐसे ही चलता रहा । मालिक के घर तक डेढ घडा पानी ही पहुंचता था। साबुत घडे क़ो अपने पर बहुत घमंड था। उसकी बनावट बहुत सुन्दर थी और वह काम में भी पूरा आता था। टूटे हुए घडे क़ो अपनी बेबसी पर आंसू आते। वह उदास और दुखी रहता क्योंकि वह अधूरा था। उसे अपनी कमी का एहसास था। वह जानता था कि जितना काम उसे करना चाहिये वह उससे आधा ही कर पाता है। एक दिन टूटा हुआ घडा अपनी नाकामयाबी को और सहन नहीं कर पाया और वह भिश्ती से बोला ''मुझे अपने पर शर्म आती है मै अधूरा हूं। मैं आपसे क्षमा मांगना चाहता हूं।'' भिश्ती ने उससे पूछा''तुम्हें किस बात की

नानी की शिक्षाप्रद कहानियाँ Nanny's instructive stories

एक महात्मा विचरण करते हुए एक गृहस्थ के पास पहुंचे । गृहस्थ ने उनका पर्याप्त आदर- सत्कार किया । बातों-बातों में उन्होंने गृहस्थ को बताया कि वे पशु- पक्षियों की बोली समझते हैं । उसके पास से अपने आश्रम लौटते समय उन्होंने व्यक्ति को आशीर्वचनों से उपकृत करना चाहा । वे बोले, "कहो, क्या आशीर्वाद दूं मैं तुम्हें ? तुम किस दिशा में आगे बढ़ना और सफल होना चाहोगे ?" महात्मा ने गृहस्थ को उसकी इच्छाओं के अनुरूप आशीर्वाद दिया । उनके विदा होते समय गृहस्थ ने एक और मांग उनके सामने रख दी । उसने कहा, "महाराज, आपने कहा है कि आप पशु- पक्षियों की बातें समझ सकते हैं । आप यदि मुझ पर प्रसन्न हों तो कृपया वह विद्या मुझे भी सिखाते जाइये ।" महात्मा ने उसे समझाते हुए कहा, "देखो भाई, यह विद्या तुम्हारे काम की नहीं है । इसके प्रयोग से तुम्हें मानसिक कष्ट ही भोगना पड़ सकता है । न जाने कब कौन-सी बातें तुम्हारे कान में पड़ें और तुम चिंताग्रस्त हो जाओ । इस विद्या की इच्छा मत करो । अन्य जीवों की बातें सुनने से क्या लाभ ?" लेकिन महात्मा की बातें वह गृहस्थ नहीं माना । अ

Mehnat ki kmai

खुशहालपुर में नारायण नाम का एक अमीर साहूकार रहता था। उसका एक बेटा और एक बेटी थी। लडक़ी की शादी हुए तीन साल हो गये थे और वह अपने ससुराल में खुश थी। लडक़ा राजू वैसे तो बुद्धू नहीं था लेकिन गलत संगत में बिगड सा गया था। अपने पिता के पास बहुत पैसा है यह उसे घमंड हो गया था। दिनभर अपने आवारा दोस्तों के साथ घूमना फिरना ही उसे अच्छा लगता था। जैसे- जैसे वह बडा हुआ पैसे खर्च करने की आदत बढती गयी और वह अपने दोस्तों के कहनेपर पानी की तरह पैसा बहाने लगा। मेहनत की कमाई अपना बेटा ऐसे गंवा रहा है यह देख नारायण को चिंता होने लगी। उसकी इच्छा थी कि राजू बेटा बडा हो कर सब कारोबार संभाल ले और वह अपनी पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल जाये। अपने बेटे को समझ आने की आस लगाये बैठा नारायण बुढापे की तरफ बढ रहा था। फिर उसने गांव के ही एक विद्वान गृहस्थ थे सलाह लेने की सोची। दोनों ने मिलकर सलाह मशवरा किया। खूब बातें हुई। दूसरे दिन नारायण ने राजू को बुलाया और कहा ''बेटा राजू घर से बहार जा कर शाम होने तक कुछ भी कमाई करके लाओगे तभी रात का खाना मिलेगा। राजू डर गया और रोने लग गया। उसे